"दृष्टिहीनता नहीं बनी बाधा,हाफिज हरिसुद्दीन ने रचा परिश्रम का इतिहास!"

 10वीं में 79.80% अंक प्राप्त कर दिल जीत लिया!



(अकोला बातमी पत्र विशेष)
अकोला-आंखों से देख नहीं सकते तो क्या हुआ! लेकिन देखने का नजरिया साफ हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती इस बात को सच कर दिखाया है महाराष्ट्र के अकोला के रहने वाले नेत्रहीन हाफिज-ए-क़ुरआन हरिसुद्दीन ने अकोला में एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी सामने आई है जिसने पूरे महाराष्ट्र को गौरव से भर दिया है.
अकोला के मुज़फ्फरनगर के रहने वाले दृष्टिहीन छात्र हाफिज हरिसुद्दीन ने 10वीं बोर्ड परीक्षा में 79.80% अंक प्राप्त कर समाज एवं देश के लाखों युवाओं को नई दिशा दी है। क़ुरआन को कंठस्थ करने वाले इस होनहार छात्र ने साबित कर दिया कि कठिनाइयाँ संकल्प के आगे हार जाती हैं।




कहा जाता है—"जहाँ चाह होती है, वहाँ राह होती है।" अकोला के हाफिज-ए-क़ुरआन हरिसुद्दीन आरिफ़ुद्दीन ने इस कहावत को भी साकार कर दिखाया है। दृष्टिहीनता को मात देकर उन्होंने महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं कक्षा की परीक्षा में 79.80 प्रतिशत अंक प्राप्त कर सभी को प्रेरणा दी है।
    ग्लूकोमा नामक रोग के कारण उन्होंने अपनी दृष्टि खो दी थी, किंतु इस चुनौती ने उन्हें रोकने के बजाय और अधिक निखार दिया। उन्होंने बिना देखे कुरआन का पूरा पाठ कंठस्थ कर हाफिज-ए-क़ुरआन का सम्मान प्राप्त किया और रमज़ान के पवित्र महीने में हजारों लोगों को तरावीह की नमाज़ पढ़ाई।इस वर्ष, हरिसुद्दीन ने सुफ़्फा इंग्लिश हाई स्कूल से 10वीं कक्षा की परीक्षा दी और अपने परिश्रम,धैर्य व आत्मबल से अत्युत्तम अंक प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया कि शारीरिक सीमाएँ सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकतीं।उनके बड़े भाई मीरानुद्दीन भी दृष्टिहीन हैं और हाफिज-ए-क़ुरआन होने के साथ-साथ 12वीं की परीक्षा में भी उत्कृष्ट अंक प्राप्त कर चुके हैं। 

हाफिज हरिसुद्दीन का कहना है की दृष्टि नहीं है तो क्या हुआ अगर जीवन को देखने का दृष्टिकोण सकारात्मक हो तो हर मंजिल को पार किया जा सकता है उनकी यह सफलता न सिर्फ उनके शहर या परिवार के लिए गौरव की बात नही बल्कि देश भर के लाखों युवाओं के लिए तो प्रेरणा स्तंभ भी बन गई है.हरिसुद्दीन प्रसिद्ध शायर व वक्ता फ़राज़ आरिफ़ के सुपुत्र तथा लेखक मोहम्मद रफ़ीउद्दीन मुजाहिद के भतीजे हैं।हरिसुद्दीन अपनी सफलता का श्रेय अल्लाह तआला, अपनी दादी, माता-पिता, शिक्षकों और गाइड को देते हैं। इस उपलब्धि के लिए उन्हें समाज से बधाइयाँ प्राप्त हो रही हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि संकल्प, समर्पण और आस्था से हर बाधा को पार किया जा सकता है।
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url

Diwali Advertisement