अकोला में वक़्फ़ संशोधन के विरोध में जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम सौंपा गया ज्ञापन

अकोला- केंद्र सरकार द्वारा लाए गए वक़्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 का पूरे देश में मुस्लिम समुदाय के लोगों के द्वारा विरोध किया जा रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार को अकोला में भी इसका विरोध दर्ज किया गया।आज 2 मई 2025 को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने वक्फ अधिनियम 1995 में हाल ही में किए गए संशोधनों का विरोध दर्ज करते हुए भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को संबोधित एक ज्ञापन अकोला के जिलाधिकारी के माध्यम से सौंपा। यह ज्ञापन उपजिलाधिकारी, अकोला को सौंपा गया।इस ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधन भारतीय संविधान द्वारा मुस्लिम समाज को दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं और ये संशोधन पूर्णतः पक्षपातपूर्ण हैं।



 ज्ञापन में निम्नलिखित मुख्य आपत्तियाँ दर्ज की गई हैं:

1. ये संशोधन संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।

2. ये अनुच्छेद 14 (समानता), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता), 26 और 29 में दिए गए अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन करते हैं।

3. वक्फ संपत्तियों को मिलने वाला संरक्षण और अधिकार छीन लिए गए हैं, जबकि अन्य धर्मों की संस्थाओं को ये अधिकार अभी भी प्राप्त हैं।

4. ये धार्मिक स्वतंत्रता और अपनी धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन के अधिकारों में बाधा उत्पन्न करते हैं।

5. यदि कोई मुस्लिम व्यक्ति पिछले पाँच वर्षों से धार्मिक प्रथाओं का पालन नहीं कर रहा है, तो वह वक्फ के रूप में संपत्ति दान नहीं कर सकता — यह उसके व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन है।

6. इन संशोधनों के कारण मुस्लिम समाज को वे अधिकार नहीं मिलते जो अन्य धर्मों की संस्थाओं को मिलते हैं, जिससे असमानता पैदा होती है।

7. वक्फ संपत्ति से संबंधित मामलों में 'कानूनी सीमा' (Limitation) लागू न होने का जो लाभ था, उसे समाप्त कर दिया गया है।

8. यदि सरकार वक्फ की जमीन अधिग्रहित करती है, तो उस मामले में सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी अंतिम निर्णय ले सकता है, जिससे संपत्ति सीधे सरकारी होने की आशंका है।

9. अब वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में केवल मुस्लिम सदस्य होंगे ही ऐसा नहीं है; चुनाव की बजाय नामांकन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।

10. वक्फ संपत्ति का उपयोग करने वालों के लिए अब पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है और यदि संपत्ति विवादित हो, तो उसे अमान्य घोषित किया जा सकता है।

11. ये सभी संशोधन मुस्लिम समाज को उनकी धार्मिक व शैक्षणिक संस्थाएँ स्थापित करने, चलाने और उनका प्रबंधन करने के अधिकारों में बाधा उत्पन्न करते हैं।

प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि लोकसभा और राज्यसभा द्वारा पारित इन सभी विवादित संशोधनों को तत्काल रद्द किया जाए।


ज्ञापन सौंपते समय ये रहे उपस्थित

विधायक साजिद खान पठान, मुफ्ती मोहम्मद अशफाक कासमी, मौलाना वासिउल्लाह, कच्छी मस्जिद के अध्यक्ष जावेद ज़कारिया, डॉ.उरूज अहमद, मुफ्ती हुफैज़, सैयद सदाक़त अली नदवी, हाफिज हासिम, हामिद हुसैन, वकार अहमद, मौलाना निसार अहमद नदवी, पूर्व पार्षद नकीर खान, पूर्व पार्षद इरफान खान, मोईन खान उर्फ मंटूभाई, अफजल खान, आसिफ अहमद खान, सैयद शहजाद, सैयद अजीजुद्दीन फलाही, मोहम्मद खालिद नदवी

इस अवसर पर उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि इन संशोधनों से मुस्लिम समाज की धार्मिक स्वतंत्रता, स्वशासन, संपत्ति पर अधिकार और संवैधानिक संरक्षण खतरे में पड़ गया है। यह शांतिपूर्ण विरोध लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने का प्रयास है।

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