कृषि प्रधान देश के किसानों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों?

खुलेआम बिजली चोरी के पीछे कौन? 


पर्दा उठाने की मांग! 


बिजली चोरी करें कोई... भरे कोई...


हातरूण-बालापुर तहसील के क्षेत्र में आने वाले ग्राम हातरूण सब स्टेशन से हातरूण,मोरझाडी, मांजरी,मालवाडा, शिंगोली,बोरगांव वैराले, सोनाला आदि गाँव के किसानों को  सिंचाई के लिए बिजली मोहीया  कराई जाती है, इन साथ गांव में से दो गाँव के किसान सिंचाई के लिए चहोबीस घंटे बीजली का उपयोग कर रहे हैं , और पांच गाँव के किसानों के साथ बिजली महा वितरण का सौतेला पन  दिखाई दे रहा है, इसके पीछे जिम्मेदार कौन पर्दा उठाने की मांग वंचित किसान कर रहे हैं। आपको बता दे की जिन किसानों के पास सिंचाई की व्यवस्था है, ऐसे किसान चना गेहूं मक्का जवार प्याज आदि फसलों की मशक्कत में लगे हुए हैं,


हातरूण सब स्टेशन को दो हिस्सों में बाटा गया है,अकोला बातमीपत्र गावठान फीडर से गांव के लिए बिजली दी जाती है ,वहीं सिंचाई के लिए एजी फिटर से केवल आठ घंटे बीजली मिलती है,इस दौरान किसानों को पानी देने के लिए भाग दौड़ करनी पड़ती है , उसमें से  कुछ कारणों के चलते बिजली गुल रहती है, वही बोरगांव बैराले और सोनाला के बीच गवठान फीडर और एजी फीडर  के बीच कई जगह पर  क्रॉसिंग देखीं जा सकती है, इन क्रॉसिंग की जगह पर खुले आम मैन रोड और खेतों में गवठान फीडर के तारों पर से एजी पर हुक डालकर बिजली की चोरी  की जा रही है, चोरी की हुई बिजली से कई किसान चहोबीस घंटे सिंचाई कर रहे हैं। हजारों यूनिट की रोजाना बिजली की चोरी हो रही है, जिसके कारण महावितरण को करोड रुपए का चूना लग रहा है, और बिजली महावितरण को इसकी भनक तक नहीं लग रही है, यह कैसे संभव हो सकता है,ऐसा सवाल और इन पांच गांव के साथ सौतेलापन क्यों इस तरहा के प्रश्न किसान उठा रहे हैं,अकोला बातमीपत्र लेकिन होने वाली बिजली चोरी के कारण हातरूण सब स्टेशन ब्लैक लिस्ट में जाने की संभावना जताई जा रही है,जिस का असर आने वाले लोडशेडिंग के समय में दिखाई देगा,अकोला बातमीपत्र चोरी करें कौन और भरें सब मिलकर ऐसे हालात  ग्रामीणों और वंचित किसानों के सामने खड़े हो गए हैं, बिजली महावितरण के वरिष्ठ अधिकारियों ने खुलेआम हो रही बिजली चोरी के पीछे कौन, इस इसकी गहराई से जांच करके इसमें शामिल संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग वंचित किसान कर रहे हैं, और कृषि प्रधान देश के किसानों के साथ सौतेला पन क्यों  ऐसा सवाल  महावितरण से किसानों ने किया है। 



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