इत्तेहाद का नारा देने वालों में ही इत्तेहाद नहीं!,कार्यकर्ताओं का फूटा ग़ुस्सा

AIMIM में टिकट कटने से महाराष्ट्र भर में बवाल

आर्थिक लेनदेन का भी लग रहा है आरोप?



अकोला बातमी पत्र

महानगरपालिका चुनाव के नामांकन की आज आख़िरी तारीख है, लेकिन चुनावी सरगर्मी के बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) एक बड़े अंदरूनी संकट से जूझती नज़र आ रही है। पार्टी के कई पुराने, निष्ठावान और ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं के टिकट कटने से पूरे महाराष्ट्र में जबरदस्त नाराज़गी देखने को मिल रही है।टिकट न मिलने से आहत AIMIM कार्यकर्ता खुलकर पार्टी नेतृत्व के खिलाफ सामने आ गए हैं। कई जिलों में विरोध प्रदर्शन, नारेबाज़ी और सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। औरंगाबाद में हालात उस वक्त और गंभीर हो गए जब नाराज़ कार्यकर्ताओं ने सांसद और प्रदेश अध्यक्ष इम्तियाज़ जलील के खिलाफ नारे लगाए और उनकी तस्वीरें तोड़कर विरोध दर्ज कराया। यह दृश्य पार्टी के अंदर बढ़ती असहमति को साफ़ तौर पर उजागर करता है।पार्टी के भीतर असंतोष सिर्फ़ औरंगाबाद तक सीमित नहीं है। अकोला से भी गंभीर आरोप सामने आए हैं, जहां कार्यकर्ताओं का कहना है कि टिकट वितरण में दलालों की भूमिका रही है और मेहनती कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर बाहरी या सिफ़ारिशी लोगों को टिकट दिए गए। इन आरोपों ने AIMIM की छवि और संगठनात्मक एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।सुबह से ही सोशल मीडिया पर AIMIM के टिकट बंटवारे को लेकर लगातार पोस्ट, वीडियो और टिप्पणियां सामने आ रही हैं। कई कार्यकर्ता खुलकर यह सवाल उठा रहे हैं कि जिस पार्टी ने हमेशा इत्तेहाद, इंसाफ़ और संगठन की बात की, उसी पार्टी में आज अपने ही कार्यकर्ताओं को नज़रअंदाज़ क्यों किया जा रहा है।अचानक भड़के इन विरोध प्रदर्शनों ने चुनावी माहौल को और ज़्यादा गरमा दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि पार्टी नेतृत्व ने समय रहते नाराज़ कार्यकर्ताओं को नहीं संभाला, तो इसका सीधा असर चुनावी प्रदर्शन पर पड़ सकता है। अंदरूनी कलह का फायदा विरोधी दल उठाने की पूरी कोशिश करेंगे।अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या टिकट वितरण को लेकर उपजा यह असंतोष सड़कों पर और उग्र रूप लेगा? क्या AIMIM अपने नाराज़ कार्यकर्ताओं को मनाने में सफल हो पाएगी? और क्या यह अंदरूनी बवाल आगामी महानगरपालिका चुनावों में पार्टी के समीकरण बिगाड़ देगा?फिलहाल AIMIM नेतृत्व की ओर से इस पूरे विवाद पर कोई स्पष्ट आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में यह मुद्दा तेजी से चर्चा का केंद्र बनता जा रहा है।नागरिकों में चर्चा चल रही है की,इत्तेहाद का नारा देने वालो में ही इत्तेहाद नज़र नही आ रहा है।

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