उर्दू को इंसाफ दिलाने वालों का अकोला में ऐतिहासिक सत्कार समारोह
अकोला-भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए ऐतिहासिक निर्णय — "उर्दू विदेशी नहीं, भारत की अपनी भाषा है" — के स्वागत और इस फैसले के पीछे कानूनी लड़ाई लड़ने वाले योद्धाओं के सम्मान में अकोला के के.एम.टी. हॉल में रविवार 11 मई को शाम में एक भव्य सत्कार समारोह का आयोजन कच्छी मेमन जमात अकोला द्वारा के एम टी हॉल में किया गया इस अवसर पर हाजी सैयद बुरहान ठेकेदार (पूर्व अध्यक्ष,नगर परिषद पातुर),सैयद मुजाहिद ठेकेदार (माजी उपाध्यक्ष, नगर परिषद पातुर) और सैयद मुज़म्मिल (पूर्व नगरसेवक) का विशेष सत्कार किया गया। इन्होंने उर्दू के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी और इस ऐतिहासिक फैसले को संभव बनाया।
कार्यक्रम में विधायक साजिद खान पठान, पूर्व राज्य मंत्री खान मोहम्मद अजहर हुसैन, पूर्व विरोधी पक्ष नेता लतीफ खत्री, पूर्व नगरसेवक नकीर खान कच्छी मेमन जमात के अध्यक्ष जावेद ज़कारिया मंच पर उपस्थित थे। वक्ताओं ने इस फैसले को भारतीय संविधान,भाषायी अधिकारों और गंगा-जमुनी तहज़ीब की जीत बताया हाजी सैयद बुरहान ठेकेदार ने विस्तार से बताया कि यह मुकदमा कैसे नगर परिषद पातुर से शुरू हुआ और सुप्रीम कोर्ट तक की कानूनी यात्रा कैसी रही।समारोह में बड़ी संख्या में समाजसेवी, पूर्व नगरसेवक व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। मुख्य रूप से माजी नगरसेवक फैयाज खान, रहीम पेंटर, जमीर भाई, एनुअलहक कुरैशी, सामाजिक कार्यकर्ता सिराज कुरैशी, हाजी अनिक मियां, हारून मनिहार, हाशम सेठ ट्रस्ट के अध्यक्ष यासीन कपाड़िया, हाजी रफीक मलक, हनीफ मलक, हाजी यासीन बच्चव, सलीम गाजी, हाजी रफीक गाजी, हाजी इकबाल विंधानी, यासीन देदा, वाहिद मूसानी, मोहम्मद अकरम शेख इमाम माजी बांधकाम सभापति नगर परिषद बालापुर,जाहिर हुसैन हसू साहब माझी शिक्षण सभापति नगर परिषद बालापुर, मुशीर उल हक माजी शिक्षण सभापति नगर परिषद बालापुर, हाजी अयूब रब्बानी, डॉ. शोहेब, युसूफ तयबानी, इदरीस मलक, शफी सूर्य, तनवीर खान, जावेद खान, अज़ाज़ सूर्या, एडवोकेट इल्यास शेखानी, अफसर कुरैशी, हाजी असलम गाजी आदि मौजूद रहे।कार्यक्रम की शुरुआत हाजी असलम गाजी की तिलावत-ए-कुरआन से हुई और हाजी रफीक गाजी की दुआ से सभा में रूहानियत का माहौल बना। संचालन अंतरराष्ट्रीय शायर नईम फराज ने किया और आभार जावेद ज़कारिया ने व्यक्त किया।इस ऐतिहासिक सत्कार समारोह के साथ ही जमात की ओर से 2025 में हज पर रवाना होने वाले चार हाजियों – भाई नईम कच्छी, इस्माइल तयबानी, आरिफ किड़िया, और समीर नाथानी – की गुलपोशी भी की गई।हाजी रफीक गाजी, हाजी इकबाल विंधानी और अन्य वरिष्ठों ने गुलदस्ते भेंट कर उन्हें दुआओं के साथ रुख्सत किया।अल्लाह से दुआ की गई कि उनका सफर आसान हो और उनका हज कबूल हो।कार्यक्रम में सभी ने एक स्वर में कहा कि यह फैसला केवल उर्दू की नहीं, बल्कि भारत की बहुभाषिक पहचान और लोकतांत्रिक मूल्यों की जीत है।