10वीं 12वीं परीक्षा के हॉल टिकट पर विद्यार्थियों की जाति श्रेणी का उल्लेख करने पर जातिवादी शरद गोसावी और बोर्ड के खिलाफ मामला दर्ज करें - राजेंद्र पातोडे


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अकोला- पहले, कृषि उपज की खरीद के लिए किसानों का जाति पंजीकरण अनिवार्य किया गया था, अब 10वीं और 12वीं परीक्षा के हॉल टिकट पर छात्र की जाति श्रेणी का उल्लेख किया गया है,इस लिए महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष शरद गोसावी एवं बोर्ड के आदि पदाधिकारियों पर केस दर्ज करने की मांग वंचित बहुजन युवा अघाड़ी महाराष्ट्र प्रदेश की ओर से की गई है। महाराष्ट्र में ये पहली बार किया गया है।इस से पहले कभी ये कॉलम का उल्लेख नहीं किया गया।अकोला बातमी पत्र10वीं-12वीं परीक्षा के लिए तैयार किए गए हॉल टिकट पर छात्र की जाति श्रेणी का उल्लेख किया गया है। यह उल्लेख छात्र हित में एवं नेक इरादे से नही किया गया है। स्कूलों और जूनियर कॉलेजों के सामान्य रजिस्टर में जाति श्रेणी का गलत उल्लेख होने पर इसे दोबारा नहीं बदला जा सकेगा।राजेंद्र पातोडे ने अकोला बातमी पत्र के माध्यम से आरोप लगया है कि ये जाती के आधार पर छात्रों को नापास,रेस्टीकेट करनेबके लिए आसानी होंगी इस लिए ये कॉलम का उपयोग किया गया है।अकोला बातमी पत्रये मामला सामने आते ही मंडल के अध्यक्ष शरद गोसावी खुलासा कर रहे है कि यह छात्रों के लिए सुधार करने का एक अवसर है यदि वे इसे समय पर समझ लें। इसलिए कृपया माता-पिता, छात्र, शिक्षक कृपया इस पर ध्यान ना दें। राज्य बोर्ड अध्यक्ष शरद गोसावी ने बचकानी अपील की है कि कोई गलतफहमी न फैलाई जाए.श्रेणी क्या है और उसका सुधार छात्र और संस्थान का मामला है। अगर 12 साल से 10वीं या 12वीं तक पढ़ने वाले छात्रों की श्रेणी दर्ज या सही नहीं की गई है तो बोर्ड परीक्षा का हॉल टिकट क्यों ले रहा है यह चाल सिर्फ अनुसुचित जाती जमाती भटके विमुक्त ,अल्पसंख्यांक को निशाना बनाने के लिए बनाई गई है।गोसावी का तर्क है कि परीक्षा हॉल टिकट पर छात्र को जाति श्रेणी दी जाती है क्योंकि छात्रों को 10वीं या 12वीं के बाद छात्रवृत्ति के लिए समाज कल्याण विभाग, आदिवासी विभाग को श्रेणी की जानकारी देनी होती है।उसी के अनुसार उन्हें छात्रवृत्ति मिलती है। उसमें यदि छात्र के स्कूल के सामान्य रजिस्टर पर या जूनियर कॉलेज के सामान्य रजिस्टर पर श्रेणी अच्छी है, तो छात्रों को वह छात्रवृत्ति प्राप्त करना आसान है।यह सरासर बकवास है। छात्रवृत्ति आवेदन ऑनलाइन है और छात्र स्वयं आवेदन पत्र भरकर स्कूल या कॉलेज में जमा करते हैं, इसलिए गोसावी ऐसा मूर्खतापूर्ण बयान देकर गुमराह कर रहे हैं।शरद गोसावी और शिक्षा बोर्ड जानबूझकर यह कहकर साजिश कर रहे हैं कि हॉल टिकट पर श्रेणी का उल्लेख होने के कारण, छात्र या अभिभावक यह जान सकते हैं कि उनके स्कूल के सामान्य रजिस्टर में या जूनियर कॉलेज के सामान्य रजिस्टर में जाति श्रेणी आई है।

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