भारतीय संविधान को अभिप्रेत होने वाले न्याय दान यही सही प्रेरणा हो, न्यायमूर्ति भूषण गवई का प्रतिपादन
भारतीय संविधान को अभिप्रेत होने वाले न्याय दान यही सही प्रेरणा हो,
न्यायमूर्ति भूषण गवई का प्रतिपादन
(अकोला बातमी पत्र)डॉ बाबासाहेब अंबेडकर की वकीली को इस साल 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं. इस घटना को अभिप्रेत होने वाले अभिप्रेत कार्य न्याय दान के माध्यम से होने चाहिए, देश के संविधान, न्याय, स्वतंत्रता, एकात्मता पर आधारित है. न्याय सभी के लिए होना चाहिए इस प्रकार का प्रतिपादन सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति भूषण गवई ने किया. वह अकोला में आयोजित पारिवारिक न्यायालय के शिलान्यास समारोह में बोल रहे थे.
अकोला के पारिवारिक न्यायालय की इमारत का शिलान्यास समारोह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति भूषण गवई के हाथों, न्यायमूर्ति उच्च न्यायालय मुंबई के रविंद्र घुगे, उच्च न्यायालय मुंबई के न्यायमूर्ति नितिन सांबरे, मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनिल किलोर क्यों उपस्थिति में उच्च न्यायालय मुंबई की पालक न्यायमूर्ति श्रीमती मुकुलिका जवलकर की अध्यक्षता में संपन्न किया गया. इस अवसर पर मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय मेहरे, मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अभय वाघवासे, जिला व सत्र न्यायाधीश अकोला के अद्वैत क्षीरसागर, पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश शुभदा ठाकरे, वकील संघ के अध्यक्ष एडवोकेट प्रवीण तायडे, वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट मोती सिंह मोहता उपस्थित थे.
इस अवसर पर पूर्व न्यायमूर्ति बल्लभ दास मोहता की प्रतिमा का पूजन किया गया. अकोला न्यायालय में डॉ बाबासाहेब अंबेडकर के तेल चित्र एवं भारतीय संविधान की प्रस्तावना का अनावरण मान्यवर के हाथों किया गया. पारिवारिक न्यायालय के माध्यम से आपसी मतभेद दूर करते हुए एकता निर्माण करने का काम किया जाएगा इस प्रकार का विश्वास सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ने व्यक्त किया. इस कार्यक्रम की प्रस्तावना पारिवारिक न्यायालय की न्यायाधीश ठाकरे ने जबकि आभार प्रदर्शन एडवोकेट देवाशीष काकड़ ने किया. राष्ट्रगीत से इस कार्यक्रम का समापन किया गया.