...और इन की मदद से सोता नही कोई भूका ! "हमारा एक ही सपना" "भूका ना सोए कोई अपना"
6 सालों से मिल रहा है गरीबों को मुफ्त खाना
अकोला- अगर हमारी वजह से किसी इंसान को दो वक्त रोटी मिल जाये जिस से व्हो अपना पेट भरे उस को पेट भर खाना खाने को मिल जाए इस कार्य से बडी इबादत (पुण्य) और क्या हो सकता है। ऐसा ही संकल्प पिछले छे साल पहले यानी २०१९ में अकोला के कुछ युवाओं ने लिया था जिसे छे साल हो गए है।विगत छे सालों से शहर में गरीबो को सुबह , शाम दो वक्त का भोजन करने का कार्य जारी है।छे साल पहले अकोला शहर में फ्लाइंग कलर्स एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा रोटी बैंक की स्थापना की गई थी और उन की ओर से एक नारा बुलंद किया गया था।
"हमारा एक ही सपना" "भूका ना सोए कोई अपना" इस नारे पर अपना कार्य शुरू कर रोजाना शहर के करीब १५० से २०० लोगों तक सुबह और शाम मुफ्त खाना पहुंचाया जाता है।
अकोला शहर में ११ लोगों का एक समूह हर दिन ये कार्य कर रहा है. फ्लाइंग फाउंडेशन से जुड़े ११ लोगों की टीम है जो निस्वार्थ सेवा करते हैं । इसके लिये २ कर्मचारी को इस काम के लिये संस्था द्वारा पेमेंट भी दी जाती है।प्रतिदिन रोटी बैंक पर जो ताज़ा खाना बनाया जाता है वह सरकारी अस्पतालों में जरूरत मंद मरीजों के परिजनों तक पहुंचाया जाता है। जब की शहर से शादियों और अन्य कार्यक्रमों में जो बचा हुआ खाना आता है उसे सलाम इलाकों में बाटा जाता है। फ्लाइंग कलर्स एजुकेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ.जुबेर नदीम कहा कि मानवता की सेवा ही इसका उद्देश्य है क्योंकि इस्लाम धर्म में जरूरत मंद लोगों को खाना खिलाने और उनकी जरूरतों को पूरा करने पर विशेष ध्यान दिया गया है। प्रेषित मुहम्मद (स) की एक (हदीस) है जिस में कहा गया है कि "अल्लाह ताला फरिश्तों के सामने अपने उन बंदों पर फख्र करते हैं जो लोगों को खाना खिलाते हैं।"
कोरोना महामारी में रही अहम भूमिका
वहीं कोरोना काल के दौरान जब लॉकडाउन लगा था, तब रोटी बैंक की अहम योगदान रहा, जब अपने ही अपनो से दूरी बनाए थे जब इस टीम ने पूरे शहर में कई कई सलाम इलाकों में भोजन उपलब्ध कराता था, लेकिन जब स्थिति सामान्य हो गई तो अब हर दिन जहां ज़ुरूत है वहीं भोजन वितरण कार्यक्रम चालाया जाता है.
रोटी बैंक चलाने में समाज का बड़ा सहयोग
फ्लाइंग कलर्स एजुकेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ.जुबेर नदीम ने बताया कि इस कार्य को चलाने में समाज का बहुत बड़ा योगदान है.हमें गरीब,जरूरतमंद लोगों को भोजन कराकर आत्मसंतुष्टि की अनुभूति होती है.उन्होंने कह कि अन्य समर्थवान लोगों को भी जन कल्याण के कार्यों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेनी चाहिए.